Tuesday 5 September 2017

अंधा युग : आज पुराना हिंदी साहित्य जितना सार्थक है...शायद कभी नहीं रहा...

आज पुराना हिंदी साहित्य जितना सार्थक है...शायद कभी नहीं रहा...
धर्मबीर भारती की ये किताब आपको आज का परिदृश्य समझाने के लिए काफी है...एक बार जरूर पढ़ें...